Monday 12 August 2013

Emraan Ke Dewaane Poetry By Nitesh Verma


हैं हम दिवाने इमरान के
बातें सारी हमारी बस तेरे नाम की
तुम यकी करो चलती अब साँसे भी बस तुम्हारे नाम की
दिल्लगी ऐसी है कि मत पूछो.? प्यार कितना है दिल मे कभी उतर के तो देखो
रातें-दिन शाँमे-दुपहरी बस एक ही नाम इमरान जुँबा पे है बसी
तुम कभी हमसे मिल के तो देखो समझ के तो देखो
हमारी वजूदो मे छुप्पा है बस इक ही नाम वो है इमरान
होती है उतराव-चढाव सबकी ज़िन्दगी मे
बिना राज़ कोइ हमराज नही होता
बिना बात कोइ दीवाना नही होता कोइ सयाना नही होता
तुम चाहो तो कर सकते हो पुरजोर विरोध
तोड सकते हो मेरी अल्फाजो को मेरी जज्बातो को
मगर..! मगर मेरे यार दिल से कभी ये नाम मिटाऊँ तो मानूँ
फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है
तब जा के मिली है ये पहचान
बस इस जहाँ मे है इक ही इमरान वो जो तुम भी कभी कहते हो ना?
“One And Only One Emraan Hashmi”
हाँ वही बस वहीं अदा तुम्हारी ये कुछ लिखने पे मुझे मजबूर करती है
ऐ वर्मा! तू भी है इक दीवाना तुझे है पता क्या?
बस इक नाम तेरे पन्नों पे है सज़ा वो है इमरान
मानो ना बोलो ना लिख्खो ना
जब तुम हो दीवाने इमरान के
इन्कार क्यूँ शर्मिन्दगी क्यूँ और ये सन्कोच कैसा?
जिसे तुम हो समझते उससे है मुहब्ब्त तो फिर ये बकवास कैसा
मै तो हार गया तुम्हे समझाते- समझाते अब तुम्हे ये दीवाने बताऐन्गे
कैसी है इनकी मुहब्बत कैसी है इनकी चाहत
अब ये ही बताऐन्गे तुम्हे अपनी जबानी
तुम्हे सुनाऐन्गे आज की रात वो कहानी
कैसे है ये बने इमरान के दीवाने..!

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